आज पूरी दुनिया इतनी बड़ी भयावह बीमारी से जूझ रही है | निश्चय ही यह समय बहुत कुछ सोचने पर भी मजबूर कर रहा है | भारत का रवैया इस महामारी को लेकर वाकई मेरी नज़रों में उन भारतीयों की आँख खोलने वाला है जो कि विदेशों की शानोशौकत और अधिक पैसे कमाने की दौड़ में भारत को छोड़ कर अपनी समस्त शिक्षा और ज्ञान का उपयोग बजाये इस देश की तरक्की में लगाने के उसे विदेशों की सौगात समझ कर दूसरे देशों की तरक्की में कर रहे हैं| सर्वप्रथम इतने बड़े खतरे को भांपते हुए भी भारत ने कोशिश की कि बाहर के देशों में फंसे हुए हैं भारतीयों को भारत वापस लाने की | महामारी को नियंत्रित करने social distancing को तत्काल प्रभाव से लागू कराने की हर संभव कोशिश की जबकि अन्य कुछ देशों में कोरोना प्रभावित व्यक्तियों को अपने ही घर में लॉक करवा कर उन्हें अपने ही हाल पर छोड़ दिया | जबकि इस बिमारी का कोई इलाज नहीं है फिर भी जयपुर के एक चिकित्सालय में डॉक्टर्स की टीम ने एकदम शुरुआत में चूँकि एस बीमारी का कोई इलाज नहीं है इसलिए यहाँ तक कि swaine flu, मलेरिया एवं एड्स की दवाइयों का उपयोग मरीज को ठीक करने के लिए किया और मरीज को बचाने का अभी भी हर चिकित्सालय में संभव प्रयास कर रहे हैं| देश के प्रधानमंत्री के आव्हान पर, कभी यहाँ एक साथ ताली बजाकर, घंटी बजाकर इत्यादि तरीकों से तो कभी एक साथ दीप, मोमबत्ती इत्यादि की रौशनी द्वारा ध्वनि ऊर्जा या प्रकाश ऊर्जा से कोरोना जैसी महामारी से लड़ने का प्रयास पूरे देश ने एकजुट होकर करना ये सब आज साबित करता है कि भारत एक संस्कार प्रधान देश है | आज का युवा जो संस्कार शब्द कभी समझ ही नहीं पाया होगा वो आज इस शब्द की सही व्याख्या को प्रैक्टिकल रूप में समझ पा रहा होगा | कोरोना से बचने के लिए प्रयास करता यह देश और इसकी सभ्यता को मेरा कोटि कोटि नमन | इस विपत्ति के समय एक भारतीय होने के नाते आपसे एक आग्रह जरुर करना चाहूंगी कि ये विपत्ति का समय आज आपको समझा रहा है कि कौन अपना है और कौन पराया साथ ही आप किस महान देश की गरिमा को आज तक पहचान ही नहीं पाएं हैं इसको समझें, इसकी गरिमा, इसके संस्कार और इसकी गहराई का आकलन करें और अपने देश के अपनेपन का एहसास कर इस पलायनवादी मनोवृत्ति का एक बार पुनरावलोकन करें |
Today the whole world is struggling with such a terrible disease. Of course, this time is also forcing you to think a lot. India’s attitude about this epidemic is really eye-opening to those Indians, who instead of leaving India in the race for the glamor of foreign countries and earning more money, instead of using all their education and knowledge to make progress in this country, Understanding the gift of foreign countries, they are progressing in other countries. First of all, despite sensing such a big danger, India tried to bring Indians back to India who are trapped in foreign countries. Every effort was made to control the epidemic by implementing social distancing with immediate effect, while in some other countries, Corona affected persons were locked up in their own homes and left them on their own. While in the very beginning since there is no cure for this disease, in a hospital in Jaipur, the team of doctors used swaine flu, malaria and AIDS medicines to cure the patient and still trying constantly by every possible means of medical science to save the patients in every hospital. Are On the call of the Prime Minister of the country, sometimes by clapping together, ringing the bell, etc. by means of lighting the lamp, candle etc. together, the whole country has unitedly attempted to fight an epidemic like corona with sound energy or light energy. All proves today that India is a value based country. Today’s youth, who could never understand the word sanskaar (values), would be able to understand the correct interpretation of this word in practical form. I try to salvage this country and its civilization by trying to escape from Corona. Being an Indian at the time of this calamity, I would like to make a request to you that the time of this calamity is explaining to you today who is your own and who is alien and also you do not recognize the dignity of this great country till date. , Assess its dignity, its values and its depth, and revisit this escapist attitude by realizing the familiarity of our country.