मैं पता नहीं क्यों इस तरह अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने के पक्ष में नहीं हूँ | कोई अन्तरराष्ट्रीय पुरुष दिवस क्यों नहीं होता | क्या ये जरुरी है कि महिला को उसकी महत्ता साल के एक दिन बताई जाए |
सर्वशक्तिमान शिव का स्वरुप अर्ध नारीश्वर का है | इसका तात्पर्य यह है कि किसी अकेले पुरुष और अकेली नारी का कोई अस्तित्व ही नहीं है | ये सृष्टि का आधार ही शिव है जो आधा नारी और आधा पुरुष है| फिर ये नारी को अलग अस्तित्व में देखकर पुरुष से प्रथक करके उसकी महानता का एहसास कराने का क्या मतलब है|
अगर मानना है तो विश्व महिला दिवस के साथ विश्व पुरुष दिवस भी उसी दिन मानना चाहिए तभी सही अर्थों में नारी को सम्मान देना होगा | नहीं तो ऐसे किसी दिन का अस्तित्व मेरी नजर में ठीक नही है क्योंकि महिला कितनी महान होती है ये किसी को , किसी अन्य को बताने कि जरुरत मुझे तो नही लगता, होनी चाहिए |
Why am I not in favour of celebrating “International Women’s day” like this? Why is there no “International Men’s Day”. Is it important that a woman should be told her importance on one day of the year.
Almighty Shiva is in the form of half feminine. Is that there is no existence of a single man and a single woman. This is the basis of creation, Shiva who is half woman and half man. What does it mean to make a man realize his greatness?
If you want to believe that World Women’s Day should be celebrated on the same day, then only the woman has to be respected in the right sense. According to me, there is no need to tell someone, anyone else, how great a woman is.