कुछ समय पहले मैंने डिप्रेशन पर एक सीरीज स्टार्ट की थी और उसके पहले मैंने महामारी कोरोना पर भी कई आर्टिकल्स लिखे. ये आर्टिकल्स कोरोना और डिप्रेशन को कहीं न कहीं जोड़ते जरुर हैं | भय डिप्रेशन की सबसे महत्वपूर्ण एवं सर्वप्रथम अवस्था है| यही अवस्था अगली छह अवस्थाओं को जन्म देती है – अनिर्णय, चिंता, क्रोध, निराशा, तनाव एवं अंतिम अवस्था है डिप्रेशन | इसे मैंने अपने वीडियोस में भी बहुत ही विस्तृत रूप में समझाया है |
कोरोना महामारी ने इसी भय की प्रथम अवस्था के रूप में हमारे जीवन में प्रवेश किया | और जो इस भय की प्रथम अवस्था पर ही लड़खड़ा गया वो अंतिम अवस्था डिप्रेशन तक भी पहुँच गया और जो यहीं सम्हल गया उसे ये महामारी बहुत प्रभावित नहीं कर पायी न तो शारीरिक तौर पर और न ही मानसिक तौर पर | अब जबकि महामारी भी वेंटिलेटर पर ही आने वाली है क्योंकि वैक्सीन जो ईजाद हो चुकी है एवं मुहैया भी होने लगी है | परन्तु अभी भी लोग भय से मुक्त नहीं हैं ,वो निर्भय तो हो रहे हैं परन्तु अभय नहीं | यहाँ तक कि इस महामारी के युद्ध में वारियर रहे डॉक्टर्स तक अभी भी सर्वप्रथम इस वैक्सीन का उपयोग स्वयं पर ही करवा कर उसे सही रूप में प्रचारित भी कर रहे हैं ताकि आम जनता इसे बिना डरे अपनाए |
मेरे कहने का मतलब है कि जैसे एक सैनिक जब युद्ध के मैदान में जाता है तब वह निर्भय होता है कि हो सकता है इसमें उसकी जान तक चली जाए परन्तु कहीं न कहीं उसे अपने परिवार के लिए फिक्र भी अवश्य होती है| मतलब वो अभय नहीं होता | वैक्सीन के आ जाने के बाद भी लोगों की स्थिति भी निर्भय तो हो गयी है परन्तु अभय होने की अवस्था अभी भी नहीं है | नकारात्मकता का एक छेद अभी भी हमारी सकारात्मक भावना से भरे मन रुपी बर्तन को खाली कर रहा है |
आज आवश्यकता है हमें पूर्ण रूप से अभय बनने की | सभी आवश्यक सावधानियों को अपनाते हुए पूर्णतः सजग रहते हुए अभय बनने की | क्योंकि यही सकारात्मकता हमें जीवन का सही एवं पूर्ण आनंद दिला सकती है | जीवन अनमोल है ,ये हम सब जानते हैं परन्तु अभी भी हम उसकी रखवाली ऐसे डर डरकर कर रहे हैं मानो कोई चोर हमारे पीछे है जो हमारी कोई कीमती चीज चुराना चाहता है | इसकी रखवाली तो अवश्य करें परन्तु अभय होकर ना कि निर्भय होकर |
इसी शुभ आशा एवं विश्वास के साथ कि
*हम सब निर्भय से अभय बनें *
Some time ago I started a series on depression and before that I wrote many articles on epidemic corona. These articles add corona and depression somewhere. Fear is the most important and first stage of depression. This stage gives rise to the next six stages – indecision, anxiety, anger, despair, stress and depression is the last stage. I have explained this in a very detailed way in my videos as well.
The Corona epidemic entered our lives as the first stage of this fear. And the one who stumbled on the first stage of this fear reached the last stage of depression as well and the one who got here could not affect this epidemic very much neither physically nor mentally. Now while the epidemic is going to come on the ventilator itself because the vaccine which has been developed and is also available. But still people are not free from fear, they are becoming fearless but not fearless. Even the doctors who were warriors in the war of this epidemic are still using this vaccine on their own for the first time and promoting it properly so that the general public can adopt it without fear.
I mean to say that when a soldier goes to the battle field, then he is fearless that maybe his life may be lost in it, but somewhere he also has to worry about his family. That does not mean that Abhay. Even after the introduction of the vaccine, the condition of the people has also become fearless, but the state of being unbecoming is still not there. A hole of negativity is still emptying our mind-filled pot of positive emotion.
Today, we need to be completely abbey. Adopting all the necessary precautions to become abbey while remaining fully alert. Because this positivity can give us true and full enjoyment of life. Life is precious, we all know this, but still we are guarding it fearing as if a thief is behind us who wants to steal some of our precious things. You must guard it, but not fearlessly and fearlessly.
With the same good hope and belief that
- Let us all be fearless with fearlessness *