कल ही मैंने newspaper में पढ़ा कि शादी , पारिवारिक आयोजन के लिए अब नहीं लेनी होगी इजाज़त ,१०० से ज्यादा लोग आ सकेंगे ,सिनेमाघरों में सीट खाली नहीं छोड़ना होगी , जगराते – भंडारे भी हो सकेंगे, मेले भी लग सकेंगे और दुकानों – संस्थानों में नहीं बनाने पड़ेंगे सर्किल संक्षिप्त में कहें कि सरकार द्वारा अब तक लगाए गए सभी प्रतिबंधों से मुक्ति का समय आ गया है जो की कोरोना महामारी के तहत सावधानी हेतु लगाए गए थे |
इसमें कोई दोमत नहीं कि वास्तव में इस महामारी से जूझते हुए काफी लम्बा अरसा गुजर गया है | मानव प्रजाति की ये खूबी भी है कि उसे प्रतिबन्ध रास नहीं आते वो चाहे उसकी भलाई के लिए भी क्यों न लगाए जाएँ | फिर भी जहाँ जान की बात आती है तो पसंद – नापसंद मायने नहीं रखती और लगभग सभी ने इन प्रतिबंधों का न केवल महत्त्व जाना बल्कि उनका पालन भी किया| |
परन्तु अपनी स्वाभाविक प्रवत्ति के चलते अब कहीं न कहीं ये प्रतिबंधों का ज्वालामुखी अब फटने की कगार पर है | * बहुत हो गया अब , अब नहीं होता इन प्रतिबंधों का पालन * ऐसी बातें अक्सर सुनने में आने लगी हैं | कई लोग जो कोरोना संक्रमित तो हुए परन्तु या तो संक्रमण प्रथम स्टेज पर था या उनकी प्रतिरोधक क्षमता अच्छी रही और सही समय पर उन्हें इलाज मिल गया और संक्रमण उन पर ज्यादा असर नहीं कर पाया , वे भी यह कहते पाए जातें हैं कि “अरे इससे डरने की कोई जरुरत नहीं ” | कुछ लोग जो कि प्रतिबंधों का पालन सख्ती से नहीं करते और भगवान् के फ़जल से उन्हें इस महामारी ने अपनी चपेट में भी नहीं लिया वे भी अक्सर ये कहते पाए जाते हैं कि ” सब बकवास बातें हैं ,कोई जरुरत नहीं मास्क वगैरह लगाने की “|
साहसी होना बहुत अच्छी बात है परन्तु साहसी होने एवं दुःसाहसी होने में फर्क है | उपरोक्त सभी उदाहरण साहसी होने के नहीं दुःसाहसी होने के हैं | और इस फर्क को हम सबको समझना होगा | हम सभी साहसी हैं इसलिए इस महामारी से डरने की आवश्यकता नहीं हैं हमें परन्तु सरकार द्वारा रोक हटा लेने के बाद भी हमें स्वयं की सुरक्षा की जिम्मेदारी अब स्वयं लेने की जरुरत है | क्योंकि अभी ये महामारी पूर्णतः अपना असर नहीं खो चुकी है | अब भी हमें ज्यादा जागरूक ही रहने की आवश्यकता है | आज भी आवश्यक सावधानियां जैसे मास्क , सोशल डिस्टन्सिंग उतने ही जरुरी हैं जितने पहले थे | बल्कि अब कहीं ज्यादा हैं क्योंकि अब स्वयं का प्रतिबन्ध स्वयं पर है जो मुश्किल तो है परन्तु नामुमकिन नहीं |
इसलिए साहसी बनें परन्तु दुःसाहसी नहीं और सुरक्षित रहें |
Just yesterday I read in the newspaper that no longer have to be allowed for marriage, family planning, more than 100 people will be able to come, the seats in theaters will not be left vacant, there will be jagrates – storerooms, fairs and shops – institutions Do not have to make circles. Briefly say that the time has come for freedom from all the restrictions imposed by the government, which were imposed under the Corona epidemic as a precaution.
There is no doubt that in fact, a long time has passed while battling this epidemic. It is also the quality of the human species that it does not like the restrictions, even if it should be installed for its good. Yet when it comes to life, likes and dislikes do not matter and almost all of them not only recognized the importance of these restrictions but also adhered to them. |
But due to its natural tendency, the volcano of these restrictions is now on the verge of bursting somewhere. * Enough now, now these restrictions are not followed * Such things are often heard. Many people who got corona infected but either the infection was in the first stage or their immunity was good and they got treatment at the right time and the infection did not affect them much, they are also found saying “Hey this No need to fear “. Some people who do not follow the restrictions strictly and did not even get caught by the epidemic of God because they are often said that “all are nonsense, no need to apply mask”.
It is very good to be courageous, but there is a difference between being courageous and being sad. All the above examples are of being sad, not of being courageous. And we all have to understand this difference. We are all courageous, so there is no need to fear this epidemic, but even after the government has lifted the ban, we now need to take responsibility for our own safety. Because now this epidemic has not completely lost its impact. We still need to be more aware. Even today, necessary precautions like masks, social distancing are as important as before. But now more than ever, because now we have our own restriction which is difficult but not impossible.
So be courageous but not sorrowful and stay SAFE.