Not long ago, a very noble and effective campaign has been started by the Prime Minister of our country called “Self-reliant India” or
“Vocal for Local”. As the name itself suggests, this campaign has been taken with the aim of further strengthening India.
From the discovery of zero, how many inventions are given to this world only to the world. India was also called Vishwa Guru earlier and the world suffering from this pandemic Corona has gladly adopted the rites of India in dealing with this pandemic. And this world is obviously here, its faith in the divine power, its religion and its principles, the mantra, even the food here has not only been praised by the whole world, but it is also its own.
There is another special thing in the culture of India that the people here start looking for a solution to the problem faced soon, right on their own level, like when the problem of masks came up, they were constructed on the smallest level too. The public started. And also started manufacturing ventilaters at a low cost in a big way. The doctors here are also working day and night to make medicines and vaccines to deal with this epidemic night and day.
I mean to say that we have neither lack of knowledge nor passion. We also know to work in minimum resources. This is our biggest strength, so why and how we slowly got caught in foreign fascination and forgot Swadeshi. Today we will have to do this question ourselves again, once again we are determined to take it to the same height, when this country was called a golden bird. The answer to this question is that we will have to renounce the temptation of foreign countries (which by now, perhaps even a young person must have understood that after this disaster that his country is his own), along with himself one of the biggest reforms will also have to be brought. | Before I tell about him, let me tell you why I specifically mentioned youth? The youth of a country is its greatest strength. When a youth becomes a power and supports a country, then no one can stop the development of that country. Till this epidemic did not show a mirror, no one could free the youth of this country from the temptation of foreign countries. Therefore, even if he had done something for this country without his mind, he would not have resided in it. Now that all the circumstances are in front, first of all, he can contribute to the development of the country with his mind, which is most essential before the beginning of any work. That is, half the work has already been done, they do not say that “well begun is half done”.
Then what are the aspects that I am talking about? That is consistency, that is, persistent effort and winning trust. Being ready with the mind alone or being fully committed and determined, India will not become self reliant. We must also pledge to ourselves that our efforts will be continuous, that is, it is not that we have tried today and have not tried tomorrow, and also the belief that the quality of the product should be of high quality, with respect to the qwality of the people. | If the product meets the highest quality criteria, then who would not want to adopt it? And when everyone is gladly accepted, then who can stop India from becoming self-sufficient?
अभी कुछ समय पहले ही हमारे देश के प्रधानमंत्री द्वारा एक बहुत ही नेक और कारगर अभियान की शुरुआत की गई है जिसका नाम है “आत्मनिर्भर भारत” या ” Vocal for Local”.जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि ये अभियान भारत को और सशक्त बनाने के उद्देश्य से उठाया गया है |
शून्य की खोज से लेकर ना जाने कितने ही आविष्कार इसी भारत भूमि की ही दें हैं दुनिया को | भारत पहले भी विश्व गुरु कहलाता था और इस महामारी कोरोना से पीड़ित दुनिया ने सहर्ष पुनः भारत के संस्कारों को अपनाया है इस महामारी से निपटने में | और ये जग जाहिर है यहाँ का योग ,यहाँ का ईश्वरीय शक्ति पर विश्वास ,यहाँ का धर्म और उनके सिद्दांत, मंत्र यहाँ तक की यहाँ का खान पान सभी की पूरी दुनिया ने न केवल प्रशंसा की है बल्कि उसे अपना भी रही है |
भारत की संस्कृति में एक और खास बात है कि यहाँ के लोग सामने आई समस्या का शीघ्र ही समाधान भी ढूढने में लग जाते हैं अपने ही स्तर पर सही जैसे जब मास्क की समस्या सामने आई तो छोटे से छोटे स्तर पर भी उनका निर्माण स्वयं यहाँ की जनता ने ही आरम्भ कर दिया | और बड़े रूप में कम लागत पर ventilaters का निर्माण भी आरम्भ कर दिया | यहाँ के डॉक्टर्स भी रात और दिन इस महामारी से निपटने के लिए दवा एवं वैक्सीन बनाने की शौध में दिन और रात लगे हुए हैं |
मेरे कहने का मतलब यह है कि हमारे पास न ज्ञान की कमी है और न ज़ज्बे की | हम कम से कम संसाधनों में भी काम करना जानते हैं | यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है तो फिर हम क्यों और कैसे धीरे धीरे विदेशी मोह में फंसते गए और स्वदेशी को भूलते गए |
ये प्रश्न हमें आज खुद से फिर करना ही होगा जबकि फिर एक बार हम इस को उन्हीं ऊचाईयों की ओर ले जाने के लिए कृत संकल्प हो रहे हैं जब ये देश सोने कि चिड़िया कहलाता था | इस प्रश्न का उत्तर ये है कि विदेशों का मोह तो हमें त्यागना ही होगा ( जो अब तक तो शायद एक युवा भी समझ चुका होगा इस आपदा के बाद कि अपना देश अपना ही होता है ) साथ में खुद में भी एक सबसे बड़ा सुधार लाना होगा | उसके बारे में बताने के पहले मैं ये जता दूँ कि मैंने विशेषतः युवा का जिक्र क्यों किया ? किसी देश का युवा उसकी सबसे बड़ी ताकत होती है | जब युवा शक्ति बनकर किसी देश को सम्हालता है तो उस देश का विकास कोई नहीं रोक सकता | जब तक इस महामारी ने आइना नहीं दिखाया था तब तक इस देश के युवा को विदेशों के मोह से कोई मन से मुक्त नहीं करा सकता था | इसलिए यदि वह बिना मन के इस देश के लिए कुछ करता भी तो उसमें वो शिद्दत नहीं होती | अब जबकि सारी परिस्थितयां सामने हैं तो सबसे पहले तो वह मन से देश के विकास में योगदान प्रदान कर सकता है जो कि सबसे आवश्यक है किसी भी कार्य की शुरुआत के पहले | यानी आधा काम तो हो ही चुका है वो कहते हैं ना कि “well begun is half done”.
फिर वो कौन सा पहलू हैं जिसके बारे में मैं बात कर रही हूँ ? वो हैं consistency यानी कि पूरी लगन से सतत प्रयास करना और विश्वास जीतना | अकेले मन से तैयार होने से या पूर्णतः प्रतिबद्ध होने, कृतसंकल्प होने से भारत आत्म निर्भर नहीं बन पायेगा | हमें खुद से ये भी प्रतिज्ञा करनी होगी कि हमारे प्रयास सतत होंगे यानी कि ऐसा नहीं कि आज प्रयास किया और कल प्रयास नहीं किया और साथ लोगों का qwality को लेकर जो विश्वास चाहिए कि उत्पाद की गुणवत्ता उच्च कोटि की होनी चाहिए उसे भी अंजाम देना होगा | यदि उत्पाद उच्च कोटि का गुणवत्ता के मापदंड पर खरा उतरेगा तो ऐसा कौन होगा जो उसे अपनाना नहीं चाहेगा | और जब सबकी सहर्ष स्वीकृति होगी तो भारत को आत्मनिर्भर होने से कौन रोक सकता है |